लंगड़ी घोड़ी

 

इंतज़ार है उसे....

आज भी लड़के वाले आए थे, आज भी नाश्ते की प्लेटें सजीं, उसे भी खूब सजा संवार कर बढ़िया माल बना कर पेश किया गया था। आज भी उसी एक बात पर बात अटकी और फिर अटकती चली गई। चाल की ज़रा सी लंगड़ाहट ने उसके सारे सपनों की भी टांगें तोड़ दीं। वो पलटी और प्लेटें उठा कर लड़खड़ाते हुए ही चलती बनी। जिस लड़के ने अभी अभी अपाहिज लड़की से शादी करने से इनकार किया था वो भी अपनी बैसाखियाँ उठा के दरवाज़े की ओर बढ़ गया। लड़की और लड़की की किस्मत लड़कों जैसी कहाँ होती है जनाब!


Comments

Popular posts from this blog

अग्निपरीक्षा

मेरे जीवन मे प्रेम: आज है कल नहीं