मेरे जीवन मे प्रेम: आज है कल नहीं
Hi Mate Sample this: तुम्हारा दिमाग काम नहीं करता। सोच सोच कर पगला गई हो। तुम्हें तो हर वक़्त यही सूझता है। फालतू हो तुम, फालतू बातें करती हो। अपना दिमाग मत चलाया करो... क्या हुआ? ये सब शब्द अलग अलग इंसानों से आपने सुने ही होंगे न। इसमें एक नया जोड़ती हूँ आज ' तुम बीमार हो। तुम्हें इलाज की ज़रूरत है।' एक इंसान के मन में उमड़ता क्रोध, शोक, दुःख, क्षोभ या हर्ष एक बहुत सामान्य बात है। इसे कोई मानसिक दुर्बलता या सीधा सीधा पागलपन से जोड़ना कहां तक उचित है। हर वक़्त होठों पर ये मुस्कान का बोझ क्यों रखना जब आपकी आंखों में पानी हो। बहुत बार मैंने महसूस किया है इंसान जब भी किसी बात से व्यथित या विचलित होता है हम उसे परेशान न होने और ज्यादा न सोचने के लिए कहते हैं। किसी समस्या में गले तक डूब जाना उचित नहीं है लेकिन शुतुरमुर्ग की तरह खुशफहमी की रेत में सर छुपा लेना भी तो उचित नहीं। जब आप स्वस्थ हैं, सहज हैं तब अगर किसी ने आपसे रिश्ता निभाया तो क्या ही निभाया? जो आपका असल साथी होगा वो आपके क्रोध के साथ भी ऐसे रहेगा जैसे प्रेम के। जो आपका सचमुच साथ देगा वो सफलता ही नहीं असफलता में भी आप