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मेरे जीवन मे प्रेम: आज है कल नहीं

  Hi Mate Sample this: तुम्हारा दिमाग काम नहीं करता। सोच सोच कर पगला गई हो। तुम्हें तो हर वक़्त यही सूझता है। फालतू हो तुम, फालतू बातें करती हो। अपना दिमाग मत चलाया करो... क्या हुआ? ये सब शब्द अलग अलग इंसानों से आपने सुने ही होंगे न। इसमें एक नया जोड़ती हूँ आज ' तुम बीमार हो। तुम्हें इलाज की ज़रूरत है।' एक इंसान के मन में उमड़ता क्रोध, शोक, दुःख, क्षोभ या हर्ष एक बहुत सामान्य बात है। इसे कोई मानसिक दुर्बलता या सीधा सीधा पागलपन से जोड़ना कहां तक उचित है। हर वक़्त होठों पर ये मुस्कान का बोझ क्यों रखना जब आपकी आंखों में पानी हो। बहुत बार मैंने महसूस किया है इंसान जब भी किसी बात से व्यथित या विचलित होता है हम उसे परेशान न होने और ज्यादा न सोचने के लिए कहते हैं। किसी समस्या में गले तक डूब जाना उचित नहीं है लेकिन शुतुरमुर्ग की तरह खुशफहमी की रेत में सर छुपा लेना भी तो उचित नहीं। जब आप स्वस्थ हैं, सहज हैं तब अगर किसी ने आपसे रिश्ता निभाया तो क्या ही निभाया? जो आपका असल साथी होगा वो आपके क्रोध के साथ भी ऐसे रहेगा जैसे प्रेम के। जो आपका सचमुच साथ देगा वो सफलता ही नहीं असफलता में भी आप

बेजुबान

  हे ईश्वर बेज़ुबानों की चीखें सुनाई तो नहीं देतीं पर उनका शोर मेरी रातों की नींद उड़ा देता है. कल internet पर वायरल हुई एक मासूम से कुत्ते की सड़क पर घिसटते हुए तस्वीरें देख कर मन विचलित हो गया। निरीह श्वान जो आदिमानव के काल से अपनी वफादारी साबित करता आ रहा उसके साथ ऐसा व्यवहार करके हम साबित क्या करना चाहते हैं? शायद एक इंसान ही ऐसा किस्म का जानवर है जो हर जानवर के नाम से जाना जा सकता है। अगर यही बात है तो उसेन बोल्ट की तरह चीते जैसे फुर्ती, या अभिनव बिंद्रा की तरह बाज़ की नज़र से क्यों नही? इन लोगों के द्वारा की गई क्रूरता की उपमा किसी भी जानवर से दी जाना मुश्किल है। वो भी जब शिकार करते हैं तो ज़रूरत से न कि शौक..और इस तरह भगा भगा कर तो वो भी नहीं मारते। कुछ समय पहले केरल और चेन्नई में श्वानों को बेदर्दी से मार मार कर सड़कों पर बिछा दिया गया था। Tiktok ने भी इस मामले में कुछ कम आतंक नहीं मचाया। अपने शौक, मज़े या मनोरंजन के लिए किसी की जान से खेलना कहां तक उचित है? मेरे चीकू और winky को खरोंच भी आ जाए तो मेरा दिल  बैठ जाता है। ये कौन से लोग हैं जिनका दिल किसी जीव को तड़पते देख कर भी पसीजता

लंगड़ी घोड़ी

  इंतज़ार है उसे.... आज भी लड़के वाले आए थे, आज भी नाश्ते की प्लेटें सजीं, उसे भी खूब सजा संवार कर बढ़िया माल बना कर पेश किया गया था। आज भी उसी एक बात पर बात अटकी और फिर अटकती चली गई। चाल की ज़रा सी लंगड़ाहट ने उसके सारे सपनों की भी टांगें तोड़ दीं। वो पलटी और प्लेटें उठा कर लड़खड़ाते हुए ही चलती बनी। जिस लड़के ने अभी अभी अपाहिज लड़की से शादी करने से इनकार किया था वो भी अपनी बैसाखियाँ उठा के दरवाज़े की ओर बढ़ गया। लड़की और लड़की की किस्मत लड़कों जैसी कहाँ होती है जनाब!

अग्निपरीक्षा

                                 अग्निपरीक्षा 'मैं कुछ नहीं जानता! तुमने वादा किया था आज मेरे एकाउंट में पैसे आ जाएंगे। वैसे तो प्यार के बड़े दावे किया करती हो, 5 लाख में ही सुर बदल गए।' शिव ने इतना कह कर सुरंजना का फोन काट दिया। सुरंजना एक बड़ी कंपनी में hr थी। अच्छी तनख्वाह, रहने को घर, हर एक सुख सुविधा। बाहर से देखने पर उसकी जिंदगी बड़ी खूबसूरत लगती थी। पर असलियत में खुशी उससे कोसों दूर थी। सुरंजना का प्रेमी शिव एक छोटा सा व्यवसाय चलाता था। गाहे बगाहे उसे पैसों की ज़रूरत पड़ती रहती थी। पर इस बार उसकी जरूरत बड़ी थी। सुरंजना यूं तो अकेली ही थी पर आज के महंगाई के ज़माने में उसकी तनख्वाह नाकाफी महसूस होती थी। जैसा आजकल का चलन है सुरंजना के पास भी लोन थे जो हर माह उसकी सैलरी का लगभग आधा हिस्सा बड़ी बेरहमी से हड़प जाते थे। उस पर भी शिव के चेहरे की  एक मुस्कान के लिए वो कुछ भी कर सकती थी। न जाने क्यों ये कुछ भी हमेशा पैसे की मांग से जुड़ा होता था। शिव सुरंजना के लिए छोटे बड़े कई आयोजन किया करता था। उसके प्रबंध कौशल, उसकी कार्यप्रणाली और उसका अपने काम को लेके हमेशा गंभीर रहना सुरंजना को उसकी